सबकी आँखों का तारा by 5.5 y/o

आरव गुप्ता
नीरजा मोदी स्कूल

क्लास I

ऐसा इक प्यारा लड़का,बात नहीं ये दादी की मानता
हर समय झगड़ता, कहता बाग़बानी करो, बाग़बानी करो,
पीता सुबह उठ के यह शेक, फिर करता सबसे हैण्ड शेक
पसंद इसको बहुत है भिन्डी, कभी कभी यह खाता छोले पिंडी|
मम्मी को करता बहुत प्यार, दादा दादी का राजकुमार,
प्यारी सी उसकी बहना, सुंदर इतनी कि क्या कहना!
नाना नानी करते उसको बहुत प्यार, अम्मी अब्बा करते दुलार
पापा का वह लाडला, छोटा सा प्यारा बेटा हमारा

मेरा ननिहाल (by 5.5 years old)

मेरा ननिहाल
आरव गुप्ता, नीरजा मोदी स्कूल, जयपुर
क्लास I , 5.5 years
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मामा कहते थे चलो चलो बेटा, अब रात हो गयी है बेटा
अपने को अब सोना है|
रात को जब सब सोते थे, हम जगे रहते थे
अपनी मच्छरदानी में|
जुगनू हमारी मच्छरदानी में रौशनी चमकाते थे
हम खेलते थे जुगनुओं के साथ|
सुबह के चार बजते ही हमारा मुर्गा कुकड़कूँ करता था|
हमारे स्कूल की छुट्टी होती थी, हम गीली करते थे मिटटी
और बनाते थे छोटे छोटे घर
कोई बड़े कोई छोटे, जैसे मीमी कहती थी
आओ बच्चो कहाँ हो तुम
फटाफट जूतों को साफ़ कर के मीमी को कहते थे हम लोग
अपनी मच्छरदानी से थोड़े बहुत जुगनू निकाल के
दिखाते थे उनको और वो कहती थी मैं आयी
मुझे लगा कि तुम मिटटी का महल बना रहे हो|

अब्बा और अम्मी, अब्बा करते हैं प्यार
रात को जब सोते थे|
उनके घर में थी एक गाय जिसका पीते थे वो दूध
रात को ग्यारह बजे,
नाना नानी टीवी दिखाते थे|
आती थी भेडिये की आवाज़, नाना जब छोटे थे,
डर जाते थे भेडिये से
उनका दरवाज़ा खुला रहता था,उनके पास मच्छरदानी होती थीं दो
वहाँ जुगनू आते थे, उनका घर भी होता था|

नीतू बुआ छोटी थी, तो वो रात को जुगनू पकडती थी
एक जाल में डाल के बंद करती थी|
रात को वो घर से बाहर निकलते तो
सड़क पर दस लोग क्रिकेट खेलते थे|
वो भी बैट, बॉल और विकेट ले के चलते थे
जैसे ही उनके चार बजे मुर्गा कहता था कुकडूकूं
फटाफट बैट बॉल विकेट ले के घर के अन्दर
अब्बा अम्मी पूछते थे, तुम इतनी देर तक क्या कर रहे थे?
हम मिटटी से महल बना रहे थे|
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मीमी- मामी
अब्बा- मम्मी के दादाजी
अम्मी- मम्मी की दादी जी
नीतू बुआ- मम्मी की बुआ